पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए मेडल लाने वाले खिलाड़ियों की कहानी एक जैसी है. उन्होंने संघर्ष देखा, समाज के ताने सुने और शारीरिक अक्षमता की वजह से उन्हें तनाव भी हुआ. लेकिन इन सभी ने सहानुभूति की बैसाखी के सहारे चलने से इनकार किया और मेडल जीत कर खुद को साबित किया.
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